इस सूखे सफर में कहीं
भीगा कोई मुकाम करें,
इक मुलाकात और सही,
इक और अस्सलाम करें.
फिर तो नसीबन मुरझाने को,
हर गुलसितां है,
उठ जाने को बा-किस्मत ,
हर इक कदम है!
जब तक चलें, रुक-रुक के सही,
कुछ तो कलाम करें!
इक मुलाकात और सही,
इक और अस्सलाम करें!
I found while searching in Google that 'Ghayas' charaterises a person who excels in his deeds while being alone. Thus it suits.This blog contains compositions from me.Let's have a 'read'!
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