जी की बातों की जद्दोजहद में,
ये उनका बार बार मुझको रोक देना!
जताने की हर कोशिश को मोड़ देना,
अंधेरी खामोशी की पसंदगी है!
उजाले के हर शोर को,
तबस्सुम पे ऊँगली रख कर
ना बताने को बोल देना!
समझायें किस कदर उनको
कायदा-ए-आशिकी 'ग़यास'
के इसमें बार बार बताने की नहीं
जताने की कवायद होती है !
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