Wednesday, January 12, 2011

वो तारीखें

वो तारीखें

सब उम्मीदें गर्द और
हर खाहिश तल्ख़* है!,
पलकों के ताबूतों में,
हर खाब सोए-सोए से! 

  गुज़री नम तारीखें भी,
उजली-सी खाहिशों के साथ,
चुन दी जाती है 'ग़यास'-
गए साल की दीवारों में... 

पर क्या करूँ  के यहाँ तक?
इन नयी तारीखों में भी-
आती है तुम्हारी ही सदा- 
उन दीवारों से!
पर तुम नहीं आते!!!
पर तुम नहीं आते!!! 


*तल्ख़ = कड़वा , Bitter in taste 

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