छटपटाहट जी को
ऐसी होती है के,
हर सूरज आरज़ू का
बुझ गया है!
कुछ तो खालीपन है ,
कि कुछ लुट गया है!
शोर सन्नाटे का अब
होता है जैसे
एक ही पल में सब
फुँक गया है!
देखो तो अभी-अभी
राख के ढेर से
बंजर से वहां,
फ़िर कोई बबूल
उग गया है!
I found while searching in Google that 'Ghayas' charaterises a person who excels in his deeds while being alone. Thus it suits.This blog contains compositions from me.Let's have a 'read'!
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