मैं तुम में तुम को तलाशने निकला
धुँआ सा था , एक कदम जो चला।
एक नन्ही सी लड़की मायूस मिली
दस्तक पर मेरी जो दरवाज़ा खुला ।
मैं पूछ बैठा हर परेशानी का सबब,
जवाब तो मिला मगर खामोश मिला ।
नासमझ तो हूँ पर ऐसा भी नहीं के-
खामोशी छानकर भी कुछ ना मिला!
ना-उम्मीद नहीं हूँ कि ना पाउँ तुमको
सफ़र जारी है, कुछ हौसला तो बढ़ा?
No comments:
Post a Comment