अब तो बस नज़्म से
ही बातें किया करते हैं!
अरसों की मुलाकातें
बस यहीं हुआ करतीं हैं।
बाहर के शराबे में कुछ
कहें-सुनें भी तो कैसे?
सन्नाटों में वो आहट
बस यहीं मिला करतीं हैं।
सब ओर सब सुखा
विराना सा लगता है,
जी कि दो-बातें, दो-कलियाँ
बस यहीं खिला करतीं हैं।
अब तो बस नज़्म से
ही बातें किया करते हैं!
जी भर के दो-साँसे
बस यहीं लिया करते हैं।
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