जो धूप नज़र से टपकती है ,
उम्मीदें गर्म कर देती है !
मुंह में भरकर ठन्डे अरमान
जो फूँक देती है,
ये सूरज बुझा देती है !
बातों में सनें खाबों को
जो बोल देती है ,
कई गांठें जिन्दगी की
खोल देती है!
जो कुछ भी कहूँ
मैं उसके बारे में,
दुनिया उसे नज़्म
बोल देती है !
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