Sunday, May 9, 2010

जंगली सही कुछ


सरे बाज़ार यूँ हर पेड़,
है खुश कहाँ?
सोई सी पाती, झुकी सी शाखें, 
इसे कुछ रंज होता है !, 
खुदी में नज़रबंद होता है !
जंगल में शजर हर कोई  
जगी, तनी पातियों में, 
हर शाख में तना,
जंगली सही कुछ,
 मगर बड़ा खुशरंग होता है  !


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