Wednesday, May 26, 2010

नज़्म से ही बातें किया करते हैं!



अब तो बस नज़्म से

ही बातें किया करते हैं! 
अरसों की मुलाकातें 
बस यहीं हुआ करतीं हैं।


बाहर के शराबे में कुछ 

कहें-सुनें भी तो कैसे? 
सन्नाटों में वो आहट 
बस यहीं मिला करतीं हैं।


सब ओर सब सुखा 

विराना सा लगता है,
जी कि दो-बातें, दो-कलियाँ 
बस यहीं खिला करतीं हैं।



अब तो बस नज़्म से

ही बातें किया करते हैं! 

जी भर के दो-साँसे 
बस यहीं लिया करते हैं।


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