तेरे इन खयालों की ईटालियाँ
इक्कट्ठी कर ली हैं,
नाराज़गी मे अनकहे जज़बातों से
क-ई बारदाने भर ली हैं,
एक एक कर के मुझपे फ़ेंकी
वो वज़नी बातें उफ़! ट्रालियों से
उठवाकर बुलवाई हैं मैने.
कभी आ कर देखो, के किसी
आलीशान कब्र के जितनी
गेहराई लेकर
बेमिसाल नींव उठवाई है मैने.
No comments:
Post a Comment