काबिल-ए-तारीफ़ हूँ लेकिन
तुमसे नज़र-अंदाज़ हुए रहता हूँ।
उस सबब-ए-नाराज़गी से मैं
भीतर उदास हुए रहता हूँ।
लिख दिये माफ़िनामे फ़िर भी
क्यूँ सजा-ए-साज़ हुए रहता हूँ?
एक ही बार तो कहा था 'जानम'!
क्यूँ बेबस हरबार हुए रहता हूँ?
I found while searching in Google that 'Ghayas' charaterises a person who excels in his deeds while being alone. Thus it suits.This blog contains compositions from me.Let's have a 'read'!
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