ये गर्म, साँसें कुछ सर्द
मालूम होतीं हैं अब,
भीतर किसी बर्फ़ानी झील को
छूकर चलतीं हैं अब।
भीतर कहीं कुछ
रिसता-सा है
कोई दर्या कोइ
शक्ल लेता-सा है
तेरी नमंज़ूरी से
कोइ शिकायत
नहीं होती मुझको
ये गुफ़्तगू ही आप एक
किस्सा-सा है।
I found while searching in Google that 'Ghayas' charaterises a person who excels in his deeds while being alone. Thus it suits.This blog contains compositions from me.Let's have a 'read'!
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